राजेंद्र शर्मा
शिमला. शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को दाखिला न देने वाले स्कूलों पर शिक्षा विभाग ने शिकंजा कस दिया है. हिमाचल प्रदेश के प्रारंभिक शिक्षा विभाग के निदेशक घनश्याम चंद की ओर से इस संबंध में सभी जिला उप निदेशकों को सर्कुलर जारी किया गया है. सरकारी अनुदान व गैर अनुदान वाले स्कूलों को कहा है कि सभी स्कूल अपने नोटिस बोर्ड पर यह नोटिस चस्पा करें कि स्कूल में आरटीई के तहत कितनी सीटें आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों के लिए के लिए आरक्षित की गई है.
इन सीटों पर कितने बच्चों को दाखिला दिया गया है. यही नहीं, स्कूलों को यह भी कहा गया है कि वे सार्वजनिक स्थानों यानी बस स्टॉप पंचायत घर, नगर निगम, सरकारी कार्यालय जो उनके स्कूल के आसपास है, वहां पर भी इस तरह का नोटिस बोर्ड चश्पा करें और उसमें भी यह जानकारी दें कि उनके स्कूल में आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कितनी सीटें आरक्षित हैं. इन सीटों पर छात्र कैसे दाखिला ले सकते हैं.
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स्कूलों में एडमिशन शुरू होने से 1 महीने पहले ये नोटिस लग जाना चाहिए. प्रारंभिक शिक्षा निदेशक ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को कहा है कि वे समय समय पर स्कूलों को इस सम्बंध में पत्राचार करते रहे. स्कूलों के प्रधानाचार्य पूरी जानकारी दें, ताकि पात्र छात्रों का दाखिला उन के अभिभावक करवा सकें. उप शिक्षकों को यह भी कहा है कि वो समय समय पर इसकी जांच के लिए औचक निरक्षण करे और इसके अलावा खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए, वह इसकी जांच करें.
राइट टू एजुकेशन
दरअसल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सभी निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों के लिए कुल सीटों की 25 फीसद सीटें आरक्षित की गई है. स्कूलों को इन सीटों पर आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों को दाखिला देना अनिवार्य किया गया है. राज्य सरकार ने इसके लिए पहले से नियम तय किए हैं कि ऐसे छात्रों का चयन किया जाना था. लेकिन समय-समय पर यह भी शिकायतें आती रही है कि बच्चों को दाखिला नहीं देते, जबकि नियमों के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को दाखिला देते हैं तो उसकी सारी फीस राज्य सरकार वहन करती है.
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Tags: Educationschool, Himachal pradesh
FIRST PUBLISHED : February 01, 2023, 07:52 IST