हाइलाइट्स
चाइल्ड राइट्स एंड यू की लेटेस्ट रिपोर्ट में बड़ा खुलासा
33 फीसदी माता-पिता बोले- अजनबियों ने किया बच्चों से संपर्क
बच्चों को गलत कंटेन्ट दिखाने की हुई कोशिश
नई दिल्ली. ऑनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार (OCSEA) के बढ़ते मामलों के बीच एक नई स्टडी में चौंकाने वाले डिटेल सामने आई है. चाइल्ड राइट्स एंड यू ने पाया है कि 33.2 प्रतिशत माता-पिता ने बताया कि अजनबी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से उनके बच्चों से दोस्ती करने के लिए संपर्क करते हैं. स्टडी में पाया गया कि कुछ मामलों में पर्सनल ने व्यक्तिगत और फैमिली डिटेल जानने की कोशिश की. कुछ केस में बदमाशों ने रिलेशनशिप एडवाइस देने का झांसा दिया. तो कुछ मामलों में गलत सेक्शुअल कंटेंट या ऑनलाइन बातचीत करने की कोशिश की गई.
स्टडी में बताया गया है कि ऐसे अजनबियों को रिस्पॉन्स करने वालों में 40 फीसदी किशोर लड़कियां हैं जिनकी उम्र 14 से 18 साल है. वहीं 33 फीसदी किशोर लड़के ने ऐसे जालसाजों के मैसेज का रिप्लाई किया है. तो वहीं 70 फीसदी माता-पिता ने कहा कि वे इस तरह की शिकायत लेकर पुलिस के पास नहीं जाएंगे.
कई राज्यों में की गई स्टडी
डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक CRY ने पटना स्थित चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (CNLU) के सहयोग से यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम 2013 के 10 साल पूरे होने पर ‘पोक्सो एंड बियॉन्ड: अंडरस्टैंडिंग ऑनलाइन सेफ्टी ड्यूरिंग कोविड’ नाम से एक स्टडी कंटक्ट की थी. यह अध्ययन महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 424 माता-पिता और 384 शिक्षकों पर किया गया था. अध्ययन से पता चलता है कि केवल 30 प्रतिशत माता-पिता ने कहा कि वे ऑनलाइन ग्रूमिंग या OCSEA के बारे में शिकायत करने के लिए पुलिस से संपर्क करेंगे. तो वहीं केवल 16 प्रतिशत माता-पिता ने कहा कि वे इसे लेकर कानून को जानते हैं.
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हैरान करने वाली बात यह है कि 66.8 प्रतिशत माता-पिता ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि क्या उन्हें इस बात की जानकारी थी कि अजनबी उनके बच्चों से ऑनलाइन कॉन्टैक्ट कर रहे थे. केवल 4 फीसदी माता-पिता ने कहा कि उनके बच्चों ने उन्हें ऐसी अजीब घटना के बारे में जानकारी दी है.
टीचर्स ने रिपोर्ट किए कई मामले
दूसरी ओर शिक्षकों ने अपनी क्लास के छात्रों के ऑनलाइन ग्रूमिंग के 497 मामलों की सूचना दी. और 53.9 प्रतिशत शिक्षकों ने कहा कि उन्होंने ऑनलाइन ग्रूमिंग के कारण स्टूडेंट्स में कई प्रकार के बिहेवियर चेंज देखे हैं. 145 से अधिक प्रतिवादी शिक्षकों ने नोट किया कि 14 से 18 साल के आयु की किशोर लड़कियां को सबसे ज्यादा शिकार बनाया गया, स्टडी में पाया गया कि कम से कम 44 प्रतिशत माता-पिता अपने बच्चों द्वारा किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग करने से खुश नहीं थे. तो वहीं 58 प्रतिशत माता-पिता अपने बच्चों द्वारा ऑनलाइन देखी जाने वाले कंटेंट के बारे में जानते नहीं थे.
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Tags: Corona effect, COVID 19, Online Study
FIRST PUBLISHED : January 19, 2023, 05:30 IST