भारत से मदद की भीख मांगने को आखिर क्यों मजबूर हुए पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ? ये हैं 10 वजहें

 

नई दिल्ली. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सेनाध्यक्ष जनरल सैयद असीम मुनीर ने संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब से 4 अरब डॉलर की वित्तीय सहायती की मांग की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि विदेशी मुद्रा भंडार कम होने के बीच पाकिस्तान डिफ़ॉल्टर देश न घोषित हो जाए.

पाकिस्तान सरकार से जुड़े एक शीर्ष सूत्र के अनुसार, संयुक्त अरब अमीरात ने पाकिस्तान को साफ तौर से कहा था कि वह अपनी नीतियों की समीक्षा करे और पड़ोसियों (भारत) के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए.




इसके बाद ही खबर आई कि शहबाज शरीफ ने कश्मीर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ‘ईमानदार बातचीत’ की मांग की है, क्योंकि ‘भारत के साथ तीन युद्धों ने उसकी मुसीबतों, गरीबी और बेरोजगारी ही बढ़ाई है’.

पाकिस्तान के एक अंग्रेजी अखबार ने भी पिछले दिनों लिखा कि जब पाकिस्तान आर्थिक संकट में गहरा धंसता दिख रहा है और पीएम शरीफ वित्तीय सहायता के लिए दुनिया से ‘भीख’ मांग रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भारत दिन-ब-दिन ‘तरक्की’ कर रहा है.

 

तो आइए नजर डालते हैं उन 10 बड़े कारणों पर जिनकी वजह से पाकिस्तान के पीएम भारत से मदद मांग रहे हैं…

1. पाकिस्तान में सरकार बदलने के बाद देश की अर्थव्यवस्था पंगु हो गई है और वह डिफॉल्टर घोषित होने से बचने के लिए संघर्ष कर रहा है.

2. पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक लगभग खाली हो चुके हैं. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के पास केवल 4.2 बिलियन डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार बचा है, जिसका अर्थ है कि पाकिस्तान के पास महज दो-तीन हफ्ते के आयात लायक ही पैसा बचा है. इसका विदेशी मुद्रा भंडार 16.6 बिलियन डॉलर से घटकर जनवरी 2022 में 5.6 बिलियन डॉलर हो गया. पाकिस्तान को चालू वित्त वर्ष के अगले तीन महीनों (जनवरी से मार्च) में दूसरे देशों से लिए कर्जों की अदायगी के रूप में करीब 8.3 अरब डॉलर चुकाने होंगे.

3. पाकिस्तान ने 2022-23 के लिए अपने रक्षा बजट को जीडीपी के 2.8% से घटाकर 2.2% कर दिया है. सेना के प्रवक्ता जनरल बाबर इफ्तिखार ने कहा कि महंगाई और रुपये की गिरती कीमत को ध्यान में रखते हुए बजट आवंटन घटाया गया है. इसका मतलब है कि वह अपनी सीमा पर किसी तरह का सैन्य संघर्ष बर्दाश्त नहीं कर सकता. देश वर्ष 2002 के बाद से ही तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और अन्य आतंकवादी संगठनों के साथ जंग कर रहा है. रक्षा सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना की आर्थिक स्थित इतनी खराब हो चुकी है कि वह अपने सैनिकों को दिन में दो बार खाना भी नहीं खिला सकती है.

 

4. पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) पाकिस्तान के सैन्य बजट में बड़ी कटौती की मांग कर रहा है, जैसा कि हाल ही में श्रीलंका ने किया था.

5. वर्ष 2022 की भीषण बाढ़ ने पाकिस्तान की कृषि भूमि को तबाह कर दिया और बुनियादी ढांचे और फसलों में लगभग $40 बिलियन का नुकसान हुआ.

6. पाकिस्तान के पास अपनी मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त सब्जियां, चावल और गेहूं नहीं हैं. यह घटते विदेशी मुद्रा भंडार के चलते आयात भी नहीं कर सकता.

7. कराची जैसे बड़े शहरों तक में डायबिटीज़ रोगियों के लिए इंसुलिन जैसी जीवन रक्षक दवाओं की कमी की खबरें आ रही हैं. सरकारी खज़ाने में डॉलर की कमी के कारण स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान एलसी यानी लेटर ऑफ क्रेडिट की अनुमति भी नहीं दे रहा है, जिस कारण चीन, भारत, अमेरिका और यूरोप के ऑर्डर अटक गए हैं.

 

8. पाकिस्तान अपने निर्यात लक्ष्यों को भी पूरा करने में सक्षम नहीं है और 48.66 अरब डॉलर के बड़े व्यापार घाटे का सामना कर रहा है. शरीफ सरकार द्वारा 800 से अधिक गैर-जरूरी विलासिता की वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद व्यापार घाटा खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है.

9. पाकिस्तान के सदाबहार दोस्त चीन भी वहां अपने नागरिकों और CPEC पोजेक्ट को लेकर हालिया सुरक्षा खतरों और चुनौतियों के कारण उसे किसी तरह की मदद देने के मूड में नहीं दिख रहा है. बलूचिस्तान में सैन्य चौकी स्थापित करने की बीजिंग की मांग को ‘खारिज’ करने के चलते चीन कथित तौर पर पाकिस्तान से नाराज है.

10. उधर संयुक्त अरब अमीरात ने भू-आर्थिक और सामरिक सहयोग विकसित करने के लिए भारत, इज़राइल और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मजबूत संबंध विकसित किए हैं. हालिया I2U2 समझौता पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है, जो इस क्षेत्र में अपनी सुरक्षा नीतियों के कारण सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे मजबूत समर्थक को खोता दिख रहा है.

 




भारत के साथ कारोबार बहाल करने के लिए प्रस्ताव तैयार
उधर पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय से जुड़े एक सूत्र के अनुसार सरकार ने भारत के साथ व्यापार बहाल करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया है, क्योंकि अचानक आई बाढ़ के प्रकोप के बाद सब्जियों, गेहूं, चावल और दवाओं जैसी बुनियादी वस्तुओं के आयात के लिए यही एकमात्र ‘व्यवहार्य और आसान विकल्प’ लगता है.

व्यापार प्रस्ताव में कहा गया है कि राजनीतिक और आर्थिक विशेषज्ञ भी महसूस करते हैं कि वाघा-अटारी और खोखरापार-मुनाबाओ बॉर्डर जैसे आसान सुलभ व्यापार मार्गों के कारण केवल भारत ही पाकिस्तान को उबार सकता है.

Source link

 

Leave a Comment

क्या वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने का फैसला सही है?